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दक्षप्रजापति का भगवान् शिव की स्तुति करना | Lord Shiva's Story of Daksha Prajapati

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आज की कथा में:–दक्षप्रजापति का भगवान् शिव की स्तुति करना           वैशम्पायनजी कहते हैं–‘तदनन्तर, दक्ष प्रजापति ने भगवान् शंकर के सामने दोनों घुटने जमीन पर टेक दिये और अनेक नामों के द्वारा उनकी स्तुति की।’           युधिष्ठिर ने पूछा–‘तात! जिन नामों से दक्ष ने भगवान् शिव का स्तवन किया था, उन्हें सुनने की इच्छा हो रही है; कृपया सुनाइये।’           भीष्मजी ने कहा–‘युधिष्ठिर! अद्भुत पराक्रम करने वाले देवाधिदेव शिव के प्रसिद्ध और अप्रसिद्ध सभी तरह के नाम मैं तुम्हें सुना रहा हूँ, सुनो।           दक्ष बोले–‘देवदेवेश्वर ! आपको नमस्कार है। आप देववैरी दानवों की सेना के संहारक और देवराज इन्द्र की भी शक्ति को स्तम्भित करने वाले हैं। देवता और दानव सबने आपकी पूजा की है। आप सहस्रों नेत्रों से युक्त होने के कारण सहस्राक्ष हैं। आपकी इन्द्रियाँ सबसे विलक्षण अर्थात् परोक्ष विषय को भी ग्रहण करने वाली हैं, इसलिये आपको विरूपाक्ष कहते हैं।            आप त्रिनेत्रधारी हैं, इस कारण त्र्यक्ष कहलाते हैं। यक्षराज कुबेर के भी आप प्रिय (इष्टदेव) हैं। आपके सब ओर हाथ और पैर हैं, सब ओर आँख, मुँह और मस्तक हैं तथा सब